घर से दूर होते बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों को दें समà¥à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‡à¤‚ अपना कल
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Arjun Dev ChadhaDate
14-Feb-2016Category
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amitUpload Date
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माता-पिता जो अपनी यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठसà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¥‚लकर, जी तोड़ मेहनत कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¤à¥€ सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ उपलबà¥à¤§ कराते हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अचà¥à¤›à¥€ से अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ दिलाते हैं और उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ वे सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ महानगरों या बड़े-बड़े शहरों में नौकरी, रोजगार मिल जाने पर उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ माता-पिता को घर पर छोड़ देते हैं हताश à¤à¤µà¤‚ à¤à¤•à¤¾à¤•à¥€ जीने को। जिनकी पथराई आंखें हमेशा उनका इंतजार करती रहती हैं।
इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बड़े अरमानों के साथ बेटे का विवाह कर माता-पिता जिस बहू को डोली में बिठाकर लाते हैं। विवाह के कà¥à¤› समय बाद वे बेटा-बहू अपनी निजी जिंदगी में सबकà¥à¤› à¤à¥à¤²à¤¾à¤•à¤° इतना रम जाते हैं कि घर के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— माता-पिता उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤° लगने लगते हैं और फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प या तो वे माता-पिता को छोड़कर अलग चले जाते हैं या फिर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घर से निकल जाने को मजबूर कर देते हैं।
अति आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सोच के कारण अतिशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ यà¥à¤µà¤¾ जिनके घर में वरà¥à¤¦à¥à¤§ माता-पिता है, हमेशा अपने पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤² चलो होमवरà¥à¤• करो, इनसे कà¥à¤¯à¤¾ सीखोगे, ये पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ लोग है, अपना काम करो इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ बातों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने-अपने माता-पिता को हतोतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करते नजर आते है।
à¤à¤• ओर सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• घातक पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ कि जबतक माता पिता या बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— कमाते है, घर का कारà¥à¤¯ करने में समरà¥à¤¥ है तब तक उनकी बड़़ी आवà¤à¤—त, मान समà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ देखà¤à¤¾à¤²à¥¤ और जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ही वे वृदà¥à¤§ रिटायर अथवा कारà¥à¤¯ करने में असमरà¥à¤¥ हà¥à¤ नहीं कि वे माता-पिता संतानों को परà¥à¤µà¤¤ से अधिक à¤à¤¾à¤°à¥€ लगते है। फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोता है तानों, उलाहानों के माधà¥à¤¯à¤® से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ का अपमान और उनकी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं में कटौती का खतरनाक सिलसिला। जिससे उनका जीवन नारकीय बन जाता है।
ये चनà¥à¤¦ वे उदाहरण मातà¥à¤° है जो आज के दौर में हमें अपने चारों ओर वृदà¥à¤§à¥‹à¤‚ के साथ देखने को मिलते है। आज के इस à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¥€, आधà¥à¤¨à¤¿à¤•, बाजारवाद के आधार पर विकसित समाज ने मानवीय संवेदनाओं और पारिवारिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• कà¥à¤ ाराघात किया है जिसकी सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• मार घर परिवार के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों को सहनी पड़़ी है।
आज अधिकांश घरों में बूढे माता-पिता, दादा दादी को अकेले में अवसादित जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते देखा जा सकता है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं की चाह, सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° जीवन जीने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ ने समाज की अमूलà¥à¤¯ धरोहर बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों को सबकà¥à¤› होते हà¥à¤ à¤à¥€ निराशà¥à¤°à¤¿à¤¤ के समान घर में रहने को मजबूर कर दिया है या फिर घर से बाहर वृदà¥à¤˜à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखा दिया है।
घर या वृदà¥à¤˜à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में à¤à¤•à¤¾à¤•à¥€ रह रहे ये बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— शिकार है अपनों की उस आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ सोच का जो उनà¥à¤¹à¥‡ समाज में à¤à¤• अनà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी ततà¥à¤µ मानती है। अपने विकास में बाधक समà¤à¤¤à¥€ है। वे à¤à¥‚ल जाते है कि वृदà¥à¤˜à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन की à¤à¤• अवशà¥à¤¯à¤®à¥à¤à¤¾à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• को इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़़ेगा। यदि आज का बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— दà¥à¤°à¥à¤°à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का शिकार है तो सतà¥à¤¯ मानिये वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के यà¥à¤µà¤¾ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ अंधकारमय है।
वृदà¥à¤˜à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ में बढोतà¥à¤¤à¤°à¥€ मानवीय संवेदनहीनता का परिणाम है। मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रिसरà¥à¤°à¥à¤š ने à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया है कि 80 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ से à¤à¥€ अधिक वृदà¥à¤˜ वृदà¥à¤˜à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® के जीवन से संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ नहीं होते है। पोते-पोती, बेटा, बहू, घर-परिवार के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हारà¥à¤¦à¤¿à¤• लगाव उनà¥à¤¹à¥‡ निरंतर बैचेनी देता है।
बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤—ों को उपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं समà¥à¤®à¤¾à¤¨ चाहिठ- ये वृदà¥à¤§ परिवार से धन दौलत या à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं की चाह नहीं रखते है, केवल समà¥à¤®à¤¾à¤¨ चाहते है। इनकी चाह इतनी सी है कि उनà¥à¤¹à¥‡ अपनों का पà¥à¤¯à¤¾à¤° मिले। परिवार उनके साथ शिषà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करे। तानों, उलाहनों के अपमानित वचनों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिले। उनà¥à¤¹à¥‡ उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जीवन जीने के लिठमजबूर नहीं किया जाà¤à¥¤
समà¤à¥‡ परिवार की अवधारणा – बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤—ों के उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जीवन के पीछे परिवार की अवधारणा को ठीक ढंग से नहीं समठपाना à¤à¥€ à¤à¤• बड़़ा कारण है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पारिवारिक अवधारणा में परिवार नाम केवल पति-पतà¥à¤¨à¤¿ और उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का है। इसी कारण बेटा बहू दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जीवन में वृदà¥à¤˜ माता-पिता, सास-ससà¥à¤° उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर दिये जाते है। जबकि परिवार की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ अवधारणा में पति-पतà¥à¤¨à¤¿ à¤à¤µà¤‚ उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ माता-पिता, बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—, दादा-दादी का à¤à¥€ समावेश है।
आज आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है उस पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ धारणा को समà¤à¤¨à¥‡ की। इसे अपनाकर जब परिवार के अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग के रूप में बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने लगेंगे तो सà¥à¤µà¤¤à¤°à¥‚ ही इनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आपने मन में पà¥à¤°à¥‡à¤® सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ à¤à¤µà¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ जनà¥à¤® लेने लगेगी और वे उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— अपने बन जायेंगे।
संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के संवाहक हैं बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— - घर, परिवार, समाज, राजà¥à¤¯ के समृदà¥à¤˜à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में संसà¥à¤•à¤¾à¤° का बड़़ा महतà¥à¤µ होता है। बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— ही वे होते है जो संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¤• पीढी से दूसरी पीढी को हसà¥à¤¤à¤¾à¤‚तरित करते है। यदि वे उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है तो जानिये समाज का नैतिक विकास उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है।
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ अधिकार तो वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ की सेवा कतà¥à¤°à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है - पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ चाहता है अधिकार चाहता है और यà¥à¤µà¤¾ दंपतà¥à¤¤à¤¿ अपने पारिवारिक जीवन में इसी सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के नाम पर बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों की अवहेलना करते है, किनà¥à¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥‚रà¥à¤¤à¤¿ का नाम सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ नहीं है। उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ जीवन विनाश की ओर ले जाता है। घर परिवार से वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ की उपेकà¥à¤·à¤¾ ही का परिणाम है कि आज नवविवाहितों à¤à¤µà¤‚ अति शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के बीच विवाह विचà¥à¤›à¥‡à¤¦ की संखà¥à¤¯à¤¾ बढती जा रही है। अतरू सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के साथ घर में बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों के महतà¥à¤µ को समà¤à¥‡à¤‚ उनकी सेवा आपका करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पालन है।
अनà¥à¤à¤µ का खजाना है वृदà¥à¤˜à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ रू- आज समाज में वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ को अनà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी मानने की घातक पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ बढ रही है। हम कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर, इंटरनेट से अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को ही सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š समà¤à¤¤à¥‡ हैं किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ नहीं है ये आधà¥à¤¨à¤¿à¤• उपकरण आपको नॉलेज दे सकते हैं अनà¥à¤à¤µ नहीं। जीवन केवल नॉलेज के आधार पर नहीं जिया जा सकता। इसे जीने के लिठअनà¥à¤à¤µ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है और ये अनà¥à¤à¤µ मिलता है बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤—ा से। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके पास जीवनà¤à¤° का अनà¥à¤à¤µ होता है तो आपके लिठसदैव उपयोगी है। इतिहास में अनेकों à¤à¤¸à¥€ कथाà¤à¤‚ है जो ये बतलाती है कि बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤—ां के अनà¥à¤à¤µ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° उपयोगी है। वृदà¥à¤˜à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का इनà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤•à¥à¤²à¥‹à¤ªà¥€à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ होती है। इसका फायदा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उठायें और अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को उठाने दें।
विरासत को न à¤à¥‚लें - आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ विरासत को à¤à¥‚लने का नाम नहीं है। हमारी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया गया है। उनके समà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ सेवा की बात कही गई है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में पितृपूजा à¤à¤µà¤‚ पितà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ जैसे यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का विधान मिलता है जो माता पिता à¤à¤µà¤‚ वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कतà¥à¤°à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤• है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कहा गया है कि नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ माता-पिता à¤à¤µà¤‚ वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ की सेवा à¤à¤µà¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आयॠविदà¥à¤¯à¤¾, यश à¤à¤µà¤‚ बल ये चार वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ बढती है। मानव विधान के पà¥à¤°à¤¥à¤® निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ मनॠने तो सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ लिखा है कि दà¥à¤–ित होकर à¤à¥€ माता-पिता का अपमान नहीं करना चाहिà¤à¥¤ इसलिठहमेशा उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करे।
वृदà¥à¤˜à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ जीवन का वह काल है जिससे à¤à¤• दिन पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• यà¥à¤µà¤¾ को रूबरू होना पड़़ेगा, किसी शायर ने कहा है कि जाकर न आने वाली जवानी देखी और आकर न जाने वाला बà¥à¤¢à¤¾à¤ªà¤¾ देखा। इसलिठयदि आज आप वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ को जैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° या महतà¥à¤µ देंगे उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करेंगे, उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सहानà¥à¤à¥‚ति रखेंगे तो मानिये आप अपना कल सà¥à¤§à¤¾à¤° रहे हैं। यदि आप आज अपने वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ की उपेकà¥à¤·à¤¾ करेंगे तो कल आपके किशोर पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उपेकà¥à¤·à¤¾ करेंगे।
हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं, केवल मेडिकà¥à¤²à¥‡à¤® पॉलिसी, इंशà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥‡à¤‚स और पेंशन फणà¥à¤¡ से वृदà¥à¤˜à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जा सकती। मानवीय संवेदनाओं की जितनी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ जीवन की अनà¥à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में होती है उससे अधिक वृदà¥à¤˜à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में होती है। याद रखें वे केवल पà¥à¤°à¥‡à¤®, सà¥à¤¨à¥‡à¤¹, समà¥à¤®à¤¾à¤¨ चाहते हैं अतरू अपने कल को बेहतर रखने के लिठआज वृदà¥à¤˜à¥‹à¤‚ को अपनाà¤à¤‚ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दें सेवा करें।
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